प्रकृति से खिलवाड़ सरकार की चाल या विकास

प्रकृति से खिलवाड़ सरकार की चाल या विकास
पेड़ काटते हुए एक आदमी की तस्वीर

प्रकृति से खिलवाड़ सरकार की चाल या विकास बताया जा रहा है कि हैदराबाद में 400 एकड़ जमीन काटे जाने को लेकर विवाद खड़ा हो रहा है। इसमें सरकार ने कहा है कि 400 एकड़ जमीन काटी जाएगी। वहां पर आईटी पार्क बनेगा यह फिर यह सरकार की कोई नई चाल है या फिर विकास की कोई वजह है? दरअसल, तेलंगाना सरकार ने कांचा गाचीबोवली में स्थित इस जमीन की नीलामी शुरू कर दी है और हैदराबाद स्थित विश्वविद्यालय के छात्र और अन्य जगहों के निवासी इस कटाई का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह जमीन वन क्षेत्र है और इसे संरक्षित किया जाना चाहिए न कि काटा जाना चाहिए।

क्या यह हैदराबाद में 400 एकड़ जंगल की कटाई है या विकास या विकास के नाम पर धोखाधड़ी

प्रकृति से खिलवाड़ सरकार की चाल या विकास
पेड़ काटते हुए एक आदमी की तस्वीर

प्रकृति से खिलवाड़ सरकार की चाल या विकास दरअसल स्मार्ट सिटी के दौर में शहरों का विकास बहुत तेजी से हो रहा है, यही कारण है कि हैदराबाद जो पहले एक शांत और हरा-भरा शहर था, अब सरकार का कहना है कि वहां के पेड़ों को काटकर आईटी पार्क बनाया जाएगा। सरकार के अनुसार आईटी पार्क और अन्य शहरी सुविधाओं के निर्माण के लिए यह जमीन जरूरी है, जिससे शहर के विकास की आशंका और बढ़ सकती है, लेकिन सवाल यह उठता है कि विकास के लिए हम अपनी प्रकृति के साथ खिलवाड़ करेंगे और उन्हें अंधाधुंध काटेंगे। वनों की कटाई से पर्यावरण संकट पैदा हो सकता है और वन क्षेत्र प्राकृतिक जलवायु है, प्रदूषण को नियंत्रित करने और विविधता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अगर आईएसआई तरीके से ऐसा किया जा रहा है, तो पर्यावरण इतना खराब हो जाएगा क्योंकि जब पेट नहीं रहेगा, तो पर्यावरण का खराब होना तय है।

स्थानीय विरोध और नागरिको की चिंता

स्थानीय विरोध और नागरिको की चिंता

दरअसल जब हैदराबाद के नागरिकों को पता चला कि वहां जंगलों की आंशिक कटाई की जा रही है और वहां एक आईटी पार्क बनाया जा रहा है तो स्थानीय विश्वविद्यालय के छात्रों ने इसका विरोध भी किया और वहां के नागरिकों ने भी कहा कि हमारी पहली प्राथमिकता अपनी प्रकृति को बचाना है और इसके लिए कोई कीमत नहीं वसूलना है। यहां कीमत वसूलने का मतलब है कि उसे नुकसान नहीं पहुंचाया जाना चाहिए। वहां के नागरिकों का कहना बिल्कुल सही है क्योंकि जब पेड़-पौधे नहीं होंगे तो प्रदूषण इतना बढ़ जाएगा कि लोग बीमार पड़ जाएंगे।

हैदराबाद में सरकार की नीतियाँ

प्रकृति से खिलवाड सरकार की चाल या विकास हैदराबाद जैसे बड़े महानगरों में शहरीकरण तेज़ी से बढ़ रहा है। जब शहर का विस्तार होता है तो वहां ज़्यादा बुनियादी ढांचे जैसे आईटी पार्क और दूसरी सुविधाओं की ज़रूरत होती है और यह सब तभी संभव होगा जब हम जंगलों की ओर बढ़ेंगे। सरकार का कहना है कि इस जंगल की ज़मीन को आईटी पार्क और दूसरे विकास कार्यों के लिए तैयार किया जाएगा जो शहर की आर्थिक वृद्धि और विकास में अहम योगदान बनेंगे और लोगों को रोज़गार मिलेगा, ऐसा सरकार का दावा है।

आर्थिक लाभ और रोजगार के अवसर

प्रकृति से खिलवाड़ सरकार की चाल या विकास सरकार का कहना है कि इस तरह के विकास से शहर में नौकरियां और तकनीक जुड़ेगी और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा। आईटी पार्क और औद्योगिक क्षेत्र बनने से न केवल स्थानीय निवासियों के लिए रोजगार पैदा होगा बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी। इसके अलावा क्षेत्र में आर्थिक विकास एक आकर्षण होगा जो राज्य के विकास को तेज और शानदार बना सकता है।

विकास क्षेत्र की मांग

जैसे-जैसे शहर की आबादी बढ़ती है, वैसे-वैसे विकास योग्य भूमि की मांग भी बढ़ती है। हैदराबाद में, ऐसे क्षेत्रों की तलाश की जा रही है जो पहले से विकसित नहीं हैं और शहर के मुख्य क्षेत्र से दूर हैं। सरकार यह भी तर्क देती है कि वन भूमि विकसित करने से शहर के अंदर और बाहर दोनों जगह शहरीकरण की प्रकृति को और अधिक सुलभ बनाया जा सकता है।प्रकृति से खिलवाड़ सरकार की चाल या विकास

सरकारी दावे और शहरी विकास के फायदे
स्मार्ट सिटी
स्मार्ट सिटी

सरकार का यह भी दावा है कि अगर यह परियोजना समय पर पूरी हो जाती है तो इससे दीर्घकालिक सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेंगे जैसे बेहतर जन सुविधाएं, व्यापार और उद्योग के लिए नई दिशाएं और एक यादगार शहर। उनका यह भी कहना है कि सरकार ने पर्यावरणीय प्रभाव पर विचार किया है और किसी भी परियोजना को लागू करने से पहले पर्यावरणीय मंजूरी और अनुमोदन लिया जाएगा।

सरकारी समाधान और स्थायी योजनाएँ

क्या सरकार के पास इस समस्या का कोई स्थायी समाधान है या नहीं? अगर सरकार जंगल काट रही है तो क्या इसके बदले में वृक्षारोपण या वन्य जीव संरक्षण के लिए कोई योजना बनाई गई है या नहीं। सबसे पहले हमारे दिमाग में वृक्षारोपण कार्यक्रम आता है। क्या सरकार ने जंगल के जिस हिस्से में पेड़ काटे जा रहे हैं, वहां पेड़ लगाने का कोई वादा किया है? क्या इसके लिए कोई योजना बनाई गई है?

प्रकृति से खिलवाड़ सरकार की चाल या विकास क्या सरकार के पास इस समस्या का कोई स्थायी समाधान है या नहीं। अगर सरकार जंगल काट रही है तो क्या इसके बदले में वृक्षारोपण या वन्य जीव संरक्षण के लिए कोई योजना बनाई गई है या नहीं। सबसे पहले हमारे दिमाग में वृक्षारोपण कार्यक्रम आता है। क्या सरकार ने जंगल के जिस हिस्से में पेड़ काटे जा रहे हैं, वहां पेड़ लगाने का कोई वादा किया है? क्या इसके लिए कोई योजना बनाई गई है?

वन्यजीव संरक्षण क्या सरकार ने कोई सुरक्षित स्थान पार्क बनाने का दावा किया है जिससे प्राकृतिक आवास की रक्षा हो सके क्योंकि जब जंगल कट जाएंगे तो क्या सरकार ने जंगल में रहने वाले जानवरों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने का कोई वादा किया है।

कुछ आखिरी शब्द

प्रकृति से खिलवाड़  सरकार की चाल या विकास सरकार द्वारा लिया गया फैसला कुछ हद तक सही है लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि हमारा विकास सिर्फ पेड़ों को काटने से ही संभव है। उनकी मानें तो हैदराबाद में पेड़ों को काटने से गाड़ियां खराब होंगी, नई सड़कें बनेंगी और स्मार्ट सिटी और आईटी पार्क बनाने की योजना बनाई जा रही है। वैसे तो ये सब ठीक है लेकिन सरकार को एक बार ये भी सोचना चाहिए कि हरे भरे जंगल में रहने वाले जानवरों की सुरक्षा के लिए सही कदम उठाना जरूरी है। ये हमारी पहली प्राथमिकता है और लोगों को ये संदेश देना चाहिए कि वो ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं ताकि प्रकृति को नुकसान ना पहुंचे।

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