तेजस फाइटर जेट,भारत द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित एक हल्का मल्टीरोल फाइटर जेट है।जो भारतीय वायु सेना (IAF) और भारतीय नौसेना की ताकत को कई गुना बढ़ा चुका है। या लड़ाकू विमान न केवल भारतीय रक्षा प्रणाली का प्रतीक है। बल्कि आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक बड़ा कदम है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) और वैज्ञानिक की विकास एजेंसी (ADA) ने मिलकर इस विमान का विकास किया है।

तेजस का निर्माण:एक ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
तेजस फाइटर जेट की परियोजना की शुरुआत 1983 में भारत की “लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट(LCA)” योजना के तहत हुई। उस समय भारत को यह महसूस हुआ। कि हमें एक ऐसा हल्का लड़ाकू विमान बनाना चाहिए। जो पुरानी हो चुकी मिग-21 श्रृंखला की जगह ले सके। इसके विकास में कई चुनौतियां आई जैसी-उन्नत तकनीक निर्माण सामग्री और उपकरणों की कमी हालांकि भारत ने यह सिद्ध कर दिया कि वह उच्चतम स्तर की तकनीक विकसित करने में सक्षम है। तेजस ने अपनी पहली उड़ान 4 जनवरी 2001 को भारी इसके बाद यह कई प्रशिक्षण से गुजरा और 2016 में इसे भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया 2020 में भारत सरकार ने 83 तेजस mk-1a वेरियंट के निर्माण के लिए हाल (HAL) को ऑर्डर दिया जो आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को मजबूत करता है।
तेजस फाइटर जेट की तकनीकी विशेषताएं

तेजस फाइटर जेट की विशेषताएं इसे एक विश्व स्तरीय लड़ाकू विमान बनाती है।
1.डिजाइन और निर्माण:तेजस का डिजाइन हल्का और एयरपोर्ट डायनेमिक है। इसमें कंपोजिट मैटेरियल्स का उपयोग किया गया है। जो इसे हल्का और मजबूत बनाने में इसकी बहुत ही ज्यादा मदद करता है।
2.इंजन:तेजस में अमेरिकी GE-F 404 टरबाइन इंजन का उपयोग किया गया है। जो इसे बेहतरीन गति और प्रदर्शन प्रदान करने में इसकी बहुत ही ज्यादा मदद करता है।
3.हथियार प्रणाली:
- हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल्स इसमें जुड़ी हुई हैं।
- हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइल्स हैं।
- एंटी-शिप मिसाइल्स।
- लेजर गाइडेड बम और कलक्टर मुनीशन।
4.एवायोनिक्स:इसमें आधुनिक रडार सिस्टम,मल्टीफंक्शनल डिस्प्ले और डॉपलर रडार शामिल है।
5.स्पीड और रेंज:तेजस 1.8 मैक की अधिकतम गति प्राप्त कर सकता है। और इसकी ऑपरेशनल रेंज 3,000 किलोमीटर तक है।
तेजस के प्रकार
1.तेजस MK-1:यह प्रारंभिक संक्रमण है जो IAF में कार्यरत होता है।
2.तेजस MK-1A:यह अधिक उन्नत संक्रमण है। जिसमें बेहतर एवायोनिक्स,एक्टिव इलेक्ट्रॉनिक स्कैंड (AESA) और आधुनिक हथियार प्रणाली शामिल होते हैं।
3.तेजस MK-2:इस वेरिएंट का विकास चल रहा है। जो मध्यम श्रेणी के लड़ाकू विमान की भूमिका निभाएंगे।
4.नेवल तेजस:इसे भारतीय नौसेना के लिए विशेष रूप से विकसित किया गया है। और यह विमान वाहक पोत से उड़ान भरने में सक्षम है।
विश्व स्तर पर तेजस की पहचान
तेजस की विशेषताएं ना केवल भारत में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी सराही गई है। इसे कई विदेशी देशों ने खरीदने में रुचि दिखाई है। या भारत के रक्षा निर्यात को भी बढ़ावा देने में सहायक साबित हो सकता है।
आत्मनिर्भर भारत की पहचान

तेजस भारती रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन(DRDO) और हाल की एक बड़ी सफलता है। यह विमान भारत के “मेक इन इंडिया: अभियान का उत्कृष्ट उदाहरण है। तेजस ने यह साबित कर दिया है। कि भारत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन चुका है।
चुनौतियां और भविष्य
हालांकि तेजस ने कई उपलब्धियां हासिल की है। लेकिन इसे पूरी तरह से स्वदेशी बनाने की राह में अब भी कुछ चुनौतियां है। इंजन और रडार जैसी प्रमुख तकनीकी अभी भी आयोजित है। भारत अब स्वदेशी इंजन और अन्य तकनीकों के विकास पर जोर दे रहा है।
तेजस का भविष्य उज्जवल है। इसके उन्नति संस्करण न केवल भारतीय वायुसेना और नौसेना की जरूरत को पूरा करेगा बल्कि इसे निर्यात कर भारत वैश्विक रक्षा बाजार में भी अपनी जगह बनाएगा।
"तेजस" नाम अपने आप में "चमक" और "उजाले" का प्रतीक है;यह भारतीय वायु सेना में एक नई चमक लाने का काम
कर रहा है।